जिसने हर युग में निभाया है अपना वादा
वो लक्ष्मण,वो बलराम,वो सटका वही मेरे दादा !
अपने प्रभू की सेवा में जिसने हर सुख को त्यागा
बने रहे कवच प्रभू के हमेशासे मेरे दादा !
न केवल राह दिखाई, हाथ थांबे चलना भी सिखाया
जब कभी लगी ठेस हमे दौड़ते हुए आये है मेरे दादा !
उनके प्यार भरे आश्वासन से मेरा दुख हो जाता है आधा
देते हे ताकत लढने की मुसीबतों से मुझे मेरे दादा !
अब चाहे मिले खुशियाँ या मिले गम ज्यादा
नहीं फिक्र हमे जब साथ हमारे है सूचित दादा !!!
श्री राम
मैं अंबज्ञ हू !!!
~ हर्षसिंह पवार
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