लाय सञ्जीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥ Posted by Unknown on April 18, 2015 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps लाय सञ्जीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥ रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥ Comments
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