गुरुपौर्णिमा (Poem by : Aniketsinh Gupte)


खुशियाँ बिखेरते हुए मेरा अनिरुद्धराम है आया
ख़ुशी और उल्हास का मौसम है लाया
आया गुरुपौर्णिमा का दिन है आया ।
त्रिविक्रम पूजन का अवसर सब ने पाया
अनिरुद्ध चालीसा में डूबे सारे , भूले मोह माया
आया गुरुपौर्णिमा का दिन है आया ।
न फूल न मिठाई, न गुरुदक्षिणा हूँ लाया
फिर भी जीवन भर का सुख है पाया
आया गुरुपौर्णिमा का दिन है आया ।

- अनिकेतसिंह गुप्ते

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