Poem: दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं ."



"दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं ."

दीपावली है तुझसे बापू
जीवन तुझसे आबाद है
तेरेहि संकल्प से रोशन
तीनों जहाँ हमारे है..
..दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं .
जहाँ भी मै जाऊ  अब तू साथ हैं.

जीवन की अँधेरी रातों
और सुमसान राहों में
बस दिया तूने साथ है 
अँधेरे को उजाला बना दे
लीला तेरी आगाध है  .....
दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं .

जहाँ भी मै जाऊ  अब तू साथ हैं.
दुखों से भरा था जीवन हमारा
खुशियों का ना कुछ आसार था
तेरी एक झलक ने किया कमाल
अब खुशीयोंसे उजले दिनरात है
दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं .
जहाँ भी मै जाऊ  अब तू साथ हैं.

बाहरी रोशनी से चकाचोंध
होता रहता मन ये हमारा 
अंदर जो दीपक जलाया है तुमने
उसकी कुछ औरही बात है
दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं .
जहाँ भी मै जाऊ  अब तू साथ हैं.

छोटी छोटी असफलता से
निराश होता रहता मन ये हमारा
मुश्किलोंसे लढना सिखाया तुमने
..अब मुश्किलें ही सौगाद है
दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं .
जहाँ भी मै जाऊ  अब तू साथ हैं.

दीपावली मनाते रहते हम सालों
अनजान थे श्रद्धा के दीपकसे
श्रद्धा और भक्तीका रोपण किया तूने
अब नित्य आनंद की बरसात है
दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं .
जहाँ भी मै जाऊ  अब तू साथ हैं.

पिता का प्यार दिया तूने
प्यार भरे बोल तेरे और
पितृवचन हर बात है
दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं .
जहाँ भी मै जाऊ  अब तू साथ हैं.

राह दिखाने वाला भी तू है बापू ,
और मंजिल भी तू , मेरे पास है
ले चल हमें तू उस पार
तेरे हाथों में अब हमारा हाथ है
दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं .
जहाँ भी मै जाऊ  अब तू साथ हैं.

दीया तेरा अनिरुद्धा अब हमारे हाथ हैं .
जहाँ भी मै जाऊ  अब तू साथ हैं.

- डॉ निशिकान्तसिंह विभुते
(Aniruddha Kaladalan)

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