Poem : बापू, तू मेरा मित्र सखा (by Sonaliveera Bellubi)



बापू, तू मेरा मित्र सखा
तू कहाँ हैं, ये तो बता,
बापू तू मेरा मित्र सखा।
क्यूँ तडपती हुँ, तेरे प्यार में इतनी,
क्यूँ तरसती हुँ, तेरे भक्ती को इतनी,
तू कहाँ है, ये तो बता।
बापू तू मेरा मित्र सखा।।१।।
अब तेरे बिना रहा न जाऐ,
तुझे बिना देखे जिया न जाऐ,
तुझे देखनेको तरसती हुँ कितनी,
तू कहाँ है, ये तो बता।
बापू तू मेरा मित्र सखा।।२।।
तू सद्गुरु मेरा, तू राम मेरा,
तुझे विभिन्न रुपोमें देखती हुँ कितनी,
तू कहाँ है, ये तो बता।
बापू तू मेरा मित्र सखा।।३।।
आँखे थक गई मेरी रोते रोते,
पर मनमें है उमंग, मैं तेरी होके,
जाऊंगी कहाँ मैं, तुझसे दूर होके,
तेरी चरणोमे हैं, आखिर आना,
तू कहाँ है, ये तो बता।
बापू तू मेरा मित्र सखा।।४।।

- सौ. सोनालीविरा राहुल बेल्लूब्बी



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